जनक नन्दिनी कहलनि, कयलनि कोटि विलाप
बहुत वेद कथा सब सुनल अछि, अगम निगम पुराण कतहु
सुनल नहि त्यागि वैदेही, कानन रघुपति जाथि
नैहर मध्य सकल फल सुख थिक, कोटि कोटि विलास
कानन पति संग जानकी जयती, सब सुख सेवक बनाय
चलू-चलू संग विदीन वैदेही, तुअ हठ ने टारल जाय
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