राम, ताहि तर पाँचो बहिनि झिहरी खेलाय
झिहरी खेलाइते विषहरिके टूटल ग्रीमहार
राम, कनैत खीजै विषहरि आमा आंगा ठाढ़ि
जुनि कानू जुनि खीजू विषहरि दाइ
राम, अहू सऽ उत्तम गंथबा देब ग्रीमहार
पहिरि ओढ़िये विषहरि गहबर भेली ठाढ़ि
राम, सूर्यक ज्योति मलिन केने जाय
भनहि विद्यापति सुनू विषहरि माय
राम, सभ दिन सभ ठाम रहब सहाय
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