कोने बहिनी लोढ़य कमलक फूल
फुलबा लोढ़इते विषहरि गेली मउलाइ
माझे रे कदम तर विषहरि गेली मउलाइ
जएह किछु मंगबें अभगली झटपट मांग
जायब मृतभुवन होइ छै सांझ
पुत्र जे देब विषहरि, छीनि जुनि लेब
बांझी पद छोड़ायब विषहरि, पति राखि लेब
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