जहाँ बसथि मोहि श्याम सुन्दर, धरथि नटवर वेश
नन्दक नन्दन जगत वन्दन, सकल भवन के नरेश
शोभा सिंधु मोहिनी मुरति, कुटिल काम दिनेश
सुभग शीतल अमृत दाता, कहब हुनि इहो उपदेश
मोहि अनाथ के नाथ करू प्रभु, कहथि बूढ़ सन्देश
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हम ने जीअब बिनु राम हे जननी, हम ने जीअब बिनु राम / मैथिली लोकगीत
नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली / मैथिली लोकगीत
गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारी / मैथिली लोकगीत
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