हे उधो किछु ने रहल मोरा हाथ
गोकुल नगर सगर वृन्दावन, सुन भेल यमुना घाट
वृन्दावनक तरुणी सब कानय, झहरि-झहरि खसु पात
ओहि पथ रथ चढ़ि गेला मनमोहन, कै दिन तकबै बाट
साहेब जा धरि पलटि ने अओता, ब्रज भेल अगम अथाह
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