रहि-रहि कऽ जिया ललचाय हो / मैथिली लोकगीत

रहि-रहि कऽ जिया ललचाय हो, मुरलिया के धुन सुनि
मुरलिया के धुन सुनि, बसुरिया के धुन सुनि, रहि-रहि...
ब्रह्मा त्यागल ब्रह्मलोक केँ, शिवजी तेजल कैलाश हो
राजा छोड़ल राजपाट केँ, रानी छोड़ल शृंगार हो, मुरलिया ...
गइया छोड़ल घासो चरब, बछडू छोड़ल हुंकार हो, मुरलिया...
अन्य मैथिली लोकगीत

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